Magh Purnima 2025: पूर्णिमा के शुभ अवसर पर भक्त भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे उनका जीवन खुशहाल होता है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यत है कि माघ पूर्णिमा का व्रत करने से पापों से छुटकारा मिलता है और धन की प्राप्ति होती है।
कुछ लोग माघ पूर्णिमा 11 फरवरीकी बता रहे हैं। वहीं, कुछ ज्योतिष माघ पूर्णिमा 12 फरवरी को मनाने की बात कह रहे हैं। ऐसे में लोग बेहद कन्फ्यूज हो रहे हैं कि माघ पूर्णिमा किस दिन मनाएं, तो चलिए इसके बारे में विस्तार से समझते है।

11 या 12 फरवरी कब है माघ पूर्णिमा
दरअसल, माघ पूर्णिमा सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। माघ पूर्णिमा के विषय में श्रीकैलख ज्योतिष एवं वैदिक ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को माघ पूर्णिमा कहा जाता है।
इस वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी मंगलवार को शाम 06 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 12 फरवरी बुधवार शाम 07 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी। माघ दिवा और रात्रि पूर्णिमा व्रत 12 फरवरी बुधवार को होगा। इस वर्ष माघ पूर्णिमा व्रत का उद्यापन (मोख) 12 फरवरी बुधवार को कर सकते हैं।
माघ पूर्णिमा 2025 का शुभ मुहूर्त
- माघ पूर्णिमा तिथि शुरू – 11 फरवरी 2025, शाम 6.55
- माघ पूर्णिमा तिथि समाप्त – 12 फरवरी 2025, रात 7.22
- ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 5.19 – सुबह 6.10
- पूजा मुहूर्त – सुबह 7.-2 – सुबह 9.49
- चंद्रोदय समय – शाम 5.59
- लक्ष्मी पूजा – प्रात: 12.09 – प्रात: 1.01, 13 फरवरी
माघ पूर्णिमा महत्व
ये माघ माह का अन्तिम एवं सर्वोत्तम दिन माना जाता है। माघ पूर्णिमा पर लोग संगम स्थल त्रिवेणी पर, पवित्र स्नान, दान-दक्षिणा, गौदान, तथा हवन आदि धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। इसके अलावा, ऐसा माना जाता है कि इस महीने में देवी-देवता स्वर्ग से धरती पर कुछ समय बिताने के लिए आते हैं और पवित्र नदी गंगा के तट पर रहते हैं।
माघ पूर्णिमा का पूजा विधि
- सूर्योदय से पहले पवित्र जल, कुआं, जलाशय या बावड़ी में स्नान करें।
- मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- व्रत का संकल्प लेकर भगवान मधुसूदन या कहें। भगवान कृष्ण की पूजा करें।
- ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं और दान दें। काले तिल का दान अवश्य करें, पितरों का तर्पण करें।
- गायत्री मंत्र या ‘ओम नमो नारायण’ मंत्र का 108 बार जाप करें, या सत्यनारायण कथा करें।
- शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें और फिर व्रत का पारण करें।
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