Sankashti Chaturthi 2025: इस साल कब है संकष्टी चतुर्थी ?, जाने तारीख और शुभ मुहूर्त!

Sankashti Chaturthi 2025: सकट चौथ का व्रत महिलाएं माघ मास के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को रखती हैं। संतान की दीर्घायु के लिए माताएं इस व्रत को पूरी श्रृद्धा और आस्‍था के साथ करती हैं। इस साल यह व्रत 17 जनवरी शुक्रवार को रखा गया था। इस दिन महिलाएं सुबह तिल के पानी से स्‍नान करके यह व्रत करती हैं और शाम में गणेशजी की विधि विधान से पूजा करके व्रत कथा पढ़ती हैं। 

इसके बाद चंद्रोदय होने की प्रतीक्षा करती हैं और फिर चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर अपना व्रत खोलती हैं। इस व्रत को कुछ स्‍थानों पर तिलवा और तिलकुट चतुर्थी कहते हैं। तो चलिए इस व्रत के महत्‍व, पूजाविधि और पूजा का शुभ मुहूर्त के बारे में जानते है।

2025 में कब-कब मनाया जायेगा संकष्टी चतुर्थी ?

तारीख (Date) व्रत का नाम
जनवरी 17, 2025, शुक्रवारमाघ, कृष्ण चतुर्थी
फरवरी 16, 2025, रविवारफाल्गुन, कृष्ण चतुर्थी
मार्च 17, 2025, सोमवारचैत्र, कृष्ण चतुर्थी
अप्रैल 16, 2025, बुधवारवैशाख, कृष्ण चतुर्थी
मई 16, 2025, शुक्रवारज्येष्ठ, कृष्ण चतुर्थी
जून 14, 2025, शनिवारआषाढ़, कृष्ण चतुर्थी
जुलाई 14, 2025, सोमवारश्रावण, कृष्ण चतुर्थी
अगस्त 12, 2025, मंगलवारभाद्रपद, कृष्ण चतुर्थी
सितम्बर 10, 2025, बुधवारआश्विन, कृष्ण चतुर्थी
अक्टूबर 10, 2025, शुक्रवारकार्तिक, कृष्ण चतुर्थी
नवम्बर 8, 2025, शनिवारमार्गशीर्ष, कृष्ण चतुर्थी
दिसम्बर 7, 2025, रविवारपौष, कृष्ण चतुर्थी

सकट चौथ शुभ योग 2025

ज्योतिष गणना के अनुसार सकट चौथ पर सौभाग्य का योग बन रहा है। इस तिथि पर मघा नक्षत्र पर बव, बालव करण का संयोग रहेगा। इस दौरान चन्द्रमा सिंह राशि में रहेंगे।

चंद्रोदय का समय

संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा की पूजा करने का विधान है, इसके बाद ही महिलाएं अपने व्रत का पारण करती हैं। ऐसे में सकट के दिन चंद्रोदय का समय रात 9:09 मिनट पर है।

Sankashti Chaturthi 2025
Sankashti Chaturthi 2025

संकष्टी चतुर्थी 2025 की पूजा विधि 

  • सकट पर पूजा के लिए सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी पर गणपति जी की मूर्ति स्थापित करें।
  • इसके बाद गणेश जी को तिलक लगाएं।
  • घी का दीपक जलाएं।
  • गणेश जी को फूल चढ़ाएं।
  • अब उन्हें फल और मिठाई का भोग लगाएं।
  • तिलकुट का प्रसाद अवश्य शामिल करें।
  • गणेश चालीसा का पाठ करें।
  • अंत में गणेश जी की आरती करें। 
  • सुख-समृद्धि का कामना करते हुए पूजा समाप्त करें।

संकष्टी चतुर्थी व्रत महत्व

संकष्टी चतुर्थी की व्रत रखने से भक्त अपनी जीवन में होने वाली हर समस्या से दूर रहते हैं और सभी दोषों और पापों से मुक्ति प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त, यह दिन सभी कठिनाइयों, रुकावटों को दूर करता है, और भक्तों को स्वास्थ्य, धन, समृद्धि प्रदान करता है। 

संकष्टी चतुर्थी पर सुहागन स्त्रियां सुबह-शाम गणेशजी की पूजा करती है और रात में चंद्रमा के दर्शन और पूजा करने के बाद पति का आशीर्वाद लेती है, इसके बाद व्रत खोला जाता है। इस तरह व्रत करने से संतान की उम्र लंबी होती है और दाम्पत्य जीवन में कभी संकट नहीं आता है।

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