Maghi Purnima 2025: फरवरी में इस दिन मनाई जाएगी माघी पूर्णिमा, जानें स्नान-दान करने का शुभ मुहूर्त!

Maghi Purnima 2025: पूर्णिमा तिथि हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व रखती है और इसे विशेष रूप से शुभ और पवित्र तिथि माना जाता है। हर महीने के शुक्ल पक्ष के आखिरी दिन पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को धार्मिक दृष्टिकोण से पूजन, व्रत और दान के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं से युक्त होता है और उसका प्रकाश बेहद दिव्य और आकर्षक दिखाई देता है। तो चलिए माघ पूर्णिमा के सही तारीख और शुभ मुहूर्त के बारे में जानते है।  

क्यों है माघ पूर्णिमा का पर्व इन महत्वपूर्ण

माघ पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसे पवित्र स्नान और तपस्या का दिन माना जाता है। माघ मास की पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से गंगा, यमुनाजी और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। 

माघ पूर्णिमा का दिन पुण्य फल देने वाला माना जाता है। इसे हर साल माघ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है और यह दिन विशेष रूप से गंगा स्नान के लिए प्रसिद्ध है। यह दिन विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में किसी भी प्रकार की पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं। इस दिन को विशेष रूप से तर्पण, पितृ पूजा और दान के लिए भी माना जाता है। 

माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी प्रकार के पाप समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सुख और सौभाग्य का आगमन होता है।

Maghi Purnima 2025
Maghi Purnima 2025

माघ पूर्णिमा का तारीख और शुभ मुहूर्त

पंचांग के मुताबिक, माघ पूर्णिमा का व्रत 12 फरवरी को मनाया जाएगा। इसकी शुरुआत 11 फरवरी शाम 6 बजकर 55 मिनट पर होगी और अगले दिन 12 फरवरी शाम को इसका समापन हो जाएगा। इसके अलावा इस दिन बहुत से शुभ योगों का भी निर्माण होने जा रहा है। पहला सौभाग्य योग और दूसरा शोभन योग। इस योग में पूजा करने से जल्द ही मनोकामना की पूर्ति हो जाती है।

क्या है माघ पूर्णिमा का पूजा विधि

  • माघ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करना चाहिए। यदि गंगा स्नान संभव न हो तो पानी में गंगाजल मिलकर स्नान कर सकते हैं।
  • स्नान के उपरांत ॐ नमो नारायणाय मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दें।
  • फिर तिलांजलि देने के लिए सूर्य की ओर मुख करके खड़े हो जाएं और जल में तिल डालकर उसका तर्पण करें।
  • इसके बाद पूजा प्रारंभ करें।  
  • भोग में चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि चीजें अर्पित करें।
  • अंत में आरती और प्रार्थना करें।  
  • पूर्णिमा पर चंद्रमा और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।

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