Shab-e-Barat Shayari 2025: इन शायराना अंदाज से अपने परिजनों को दें शब-ए-बरात की मुबारकबाद!

Shab-e-Barat Shayari: इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से आधे शाबान यानी निस्फ शाबान की रात बहुत ही खास मानी जाती है। यह साल की सबसे बड़ी और रहमत वाली रात होती है, जिसे शब-ए-बारात या शब-ए-कद्र के नाम से जाना जाता है। यह रात रहमतों, बरकतों और गुनाहों की माफी की रात होती है।

इस मुकद्दस मौके पर लोग इबादत में मशगूल रहते हैं। अल्लाह से अपने गुनाहों की तौबा करते हैं और अपने लिए रहमत की दुआ मांगते हैं। इस मौके पर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को शब-ए-बारात मुबारकबाद दीजिए और उनकी सलामती की दुआ कीजिए।

Shab-e-Barat Shayari 2025
Shab-e-Barat Shayari 2025

शब-ए-बारात पर अपनों को ऐसे दें मुबारकबाद

मुबारक हो आपको ‘शब-ए-बारात’! 

आज की शब रौशनी की जरूरत नहीं,

आज चांद आसमान से मुस्कुराएगा, 

तुम दुआओं का सिलसिला जारी रखना 

रहमतों का गुलिस्तां जमीं पर आएगा 

शब-ए-बारात मुबारक! 

रहमतों की आई है रात दुआ है 

आप सदा रहें आबाद 

दुआ में रखना हमें भी याद 

मुबारक हो आपको ‘शब-ए-बारात’! 

रात को नया चांद मुबारक, 

चांद को चांदनी मुबारक, 

फलक को सितारे मुबारक, 

सितारों को बुलंदी मुबारक, 

आपको हमारी तरफ से, शब-ए-बारात मुबारक!

आज की शब रौशनी की जरूरत नहीं

आज चांद आसमान से मुस्कुराएगा,

तुम दुआओं का सिलसिला जारी रखना

रहमतों का गुलिस्तां जमीं पर आएगा

शब-ए-बारात मुबारक!

रात को नया चांद मुबारक,

चांद को चांदनी मुबारक,

फलक को सितारे मुबारक,

सितारों को बुलंदी मुबारक,

आपको हमारी तरफ से,

शब-ए-बारात मुबारक!

शब-ए-बरात का ये प्यारा मौका,

अल्लाह से रहमतें पाने का मौका,

दुआ है आपके सारे गुनाह माफ हों और आपकी जिंदगी खुशियों से भर जाए।

शब-ए-बारात मुबारक!

इस मुकद्दस रात में अल्लाह आपकी तमाम दुआओं को कबूल करे,

आपकी जिंदगी को बरकतों से भर दे और आपके सारे गुनाह माफ कर दे।

शब-ए-बारात की बहुत-बहुत मुबारकबाद!

जवाब खुदा है हर सवाल का,

तु नए-नए सवाल ना बना,

ये रहमत की रात है बंदे

तु वबाल ना बना।

शब-ए-बारात मुबारक!

या अल्लाह मैं तुझसे मांगता हूं,

ऐसी माफी जिसके बाद कोई गुनाह ना हो,

ऐसी सेहत जिसके बाद कोई बीमारी ना हो,

ऐसी रजा जिसके बाद कोई नाराजगी ना हो।

शब-ए-बारात मुबारक!

जवाब खुदा है हर सवाल का, 

तु नए-नए सवाल ना बना, 

ये रहमत की रात है बंदे तु वबाल ना बना। 

शब-ए-बारात मुबारक!

गुनाहों से तौबा का मौका मिला है,

रहमतों का साया सिर पर तना है,

दुआ करो इस शब-ए-बारात में,

अल्लाह हम पर भी मेहरबान बना है।

शब-ए-बारात आई है रोशनी लेकर,

मिटा देगी अंधेरा हर गुनाह का,

खुला है रहमत का दरवाजा हर एक के लिए,

मांग लो जो भी चाहो अपने खुदा से।

दुआओं की महफ़िल सजी है,

रहमत की बारिश हुई है,

खुदा से तौबा कर लो दोस्तों,

ये शब-ए-बारात की घड़ी है।

शब-ए-बारात की रोशनी में,

हर एक दुआ कुबूल होती है,

जो झुक जाए अल्लाह के दर पर,

उसकी हर मुश्किल दूर होती है।

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