Sankashti Chaturthi Dates 2025 List: साल 2025 में कब-कब है संकष्टी चतुर्थी, यहाँ जानें पूरी लिस्ट!

Sankashti Chaturthi Dates 2025 List: संकष्टी चतुर्थी व्रत को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कई जगह इसे संकट हारा कहते हैं तो कुछ जगहों पर इसे सकट चौथ भी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। कहते हैं जो कोई इस व्रत को सच्चे मन से रखता है उसके जीवन के सारे संकट दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं ये व्रत समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला भी माना गया है, तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते है।  

Sankashti Chaturthi Dates 2025
Sankashti Chaturthi Dates 2025

संकष्टी चतुर्थी 2025 की पूरी लिस्ट 

तिथि (Date)व्रत का नाम
जनवरी 17, 2025, शुक्रवारमाघ, कृष्ण चतुर्थी
फरवरी 16, 2025, रविवारफाल्गुन, कृष्ण चतुर्थी
मार्च 17, 2025, सोमवारचैत्र, कृष्ण चतुर्थी
अप्रैल 16, 2025, बुधवारवैशाख, कृष्ण चतुर्थी
मई 16, 2025, शुक्रवारज्येष्ठ, कृष्ण चतुर्थी
जून 14, 2025, शनिवारआषाढ़, कृष्ण चतुर्थी
जुलाई 14, 2025, सोमवारश्रावण, कृष्ण चतुर्थी
अगस्त 12, 2025, मंगलवारभाद्रपद, कृष्ण चतुर्थी
सितम्बर 10, 2025, बुधवारआश्विन, कृष्ण चतुर्थी
अक्टूबर 10, 2025, शुक्रवारकार्तिक, कृष्ण चतुर्थी
नवम्बर 8, 2025, शनिवारमार्गशीर्ष, कृष्ण चतुर्थी
दिसम्बर 7, 2025, रविवारपौष, कृष्ण चतुर्थी

व्रत की विधि और पूजन

संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय से शुरू होकर चंद्र दर्शन तक रखा जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा स्थल को साफ कर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान को दूर्वा, मोदक, फूल और दीप अर्पित करें। दिनभर व्रत रखें और शाम को चंद्र दर्शन के बाद पूजा सम्पन्न करें। इस दौरान भगवान गणेश के मंत्र और स्तुति का पाठ करें।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

ऐसा कहा जाता है कि, संकष्टी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से घर से नकारात्मक प्रभाव दूर हो जाते हैं और शांति बनी रहती है। साथ ही व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ये व्रत सूर्योदय से प्रारम्भ होकर चंद्र दर्शन करने तक रखा जाता है। पूरे साल में संकष्टी चतुर्थी के 12 या 13 व्रत रखे जाते हैं।

संकष्टी चतुर्थी का पूजा विधि 

  • संकष्टी चतुर्थी की पूजा में भगवान गणेश के साथ-साथ चंद्र देव की पूजा भी की जाती है। पूजा का तरीका इस प्रकार होता है। 
  • व्रति सूर्योदय से पहले स्नान करके भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र की स्थापना करते हैं।
  • गणेश जी को दूर्वा, लड्डू, फल और अन्य प्रिय वस्तुएं अर्पित करते हैं।
  • गणेश मंत्र “ॐ गं गणपतये नमः” का जाप किया जाता है।
  • शाम के समय चाँद का दर्शन कर व्रति अपना उपवास तोड़ते हैं।

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